अपने शरीर को साफ कैसे रखें?HOW TO CLEAN OUR BODY?
मानव शरीर एक जटिल संरचना है अपने शरीर को स्वस्थ कैसे रखा जाए, यह जानने के लिए आवश्यक है कि हम मानव के शारीरिक विकास को समझें। शारीरिक विकास में मनुष्य के शरीर की रचना जैसे- हृदय और उसका कार्य, फेफड़े और उनका कार्य, हड्डियां और जोड़, मांसपेशियां, पाचन तंत्र व पाचन क्रिया, रक्त संबंधी आवश्यक जानकारी, मनुष्य के शारीरिक विकास के लिए पौष्टिक भोजन कौन-सा है,इन सभी की अगर हमें सही जानकारी है, तो हम शरीर को साफ व स्वस्थ रख सकते हैं एवं कई बीमारियों से बच सकते हैं।
मानव जीवन अनमोल है। हमारे धार्मिक ग्रंथों का कहना है कि मनुष्य जीवन लाखों-करोड़ों वर्षों बाद मिलता है और हमारे जीवन का महत्व है हमारा शरीर। यदि शरीर स्वस्थ नहीं है अर्थात किसी बीमारी से घिरा हुआ है या कोई असाध्य रोग हमारे शरीर को समाप्त करता जा रहा है, तो जीवन में जो सुख स्वस्थ व्यक्ति को मिलता है वह रोगी मनुष्य को नहीं मिल पाता। प्राचीन काल में लोगों की औसत आयु 1000 वर्ष हुआ करती थी। धीरे-धीरे यह आयु घटती गई और आज के मानव की आयु को औसतन 60 से 70 वर्ष माना गया है। यह भी तभी संभव है जब जीवन को सही ढंग से जिया जाए। कुछ सदियों पहले न तो इतने रोग थे और न हीं आजकल जैसी अंग्रेजी दवाइयां थी। जैसे-जैसे अंग्रेजी दवाइयां बढ़ती गई रोग भी बढ़ते गए।
जैसे-जैसे मानव के शरीर का विकास कम होता गया, वैसे वैसे मानव में रोगों का बढ़ना प्रारंभ होता गया।दिन प्रतिदिन नई-नई बीमारियां पैदा होने लगी जैसे- एड्स, हेपेटाइटिस,कैंसर आदि।
मानव शरीर को तीन भागों में बांटा जाता है-सिर, धड़ तथा हाथ-पैर। सिर में हमारा मस्तिष्क सुरक्षित रहता है।धड़ को दो भागों में बांट सकते हैं। जिनको ‘उरोगुहा’ तथा ‘उदरगुहा’ कहते हैं। उरोगुहा में हृदय और फेफड़े आते है तथा उदरगुहा पेट को कहते हैं। हमारे शरीर के प्रत्येक अंग का अपना-अपना महत्व और उपयोग है।
ह्रदय और उसका कार्य(HEART AND ITS WORK)
हृदय मानव शरीर में बाएं फेफड़े के बीच में सातवीं पसली के नीचे होता है। इसका आकार एक बंद कमल के फूल के समान होता है। हमारे शरीर में हृदय का कार्य बहुत महत्वपूर्ण है। हृदय में भगवान ने अपनी विशेष कारीगिरी दिखाई है। जब एक बच्चा माता के गर्भ में होता है, तभी से बच्चे का हृदय धड़कना शुरू हो जाता है और जीवन के अंतिम समय तक धड़कता रहता है। हम चाहे सोए या जागे हृदय की धड़कन हमेशा चलती रहती है।
हृदय का मुख्य कार्य खून को हमारे सारे शरीर में पहुंचाना होता है। हृदय एक पंपिंग स्टेशन की तरह कार्य करता है, जो रक्त को पूरे शरीर में पंप करने का कार्य करता है। अनेक कारणों से अशुद्ध पदार्थ खून में मिल जाते हैं। उसका रंग बैंगनी हो जाता है। हृदय रक्त को साफ होने के लिए फेफड़ों तक भेजता है। हृदय शरीर का बहुत नाजुक अंग है। हमारी छाती के मजबूत बॉक्स में बड़ी सुरक्षा के साथ रखा हुआ है। छाती के बाएं हिस्से में हाथ रखने से इसकी धड़कन महसूस होती है।
जो व्यक्ति कसरत नहीं करते। साफ हवा में नहीं रहते। बीड़ी, सिगरेट,शराब, भांग, गांजा आदि नशीली चीजों का सेवन करते हैं।उनके खून में विषैले पदार्थ हमेशा जमा रहते हैं। जिससे भीतरी अंगों पर चर्बी चढ़ जाती है,इसी कारण वे सुस्त, चिड़चिडे तथा उदास हो जाते हैं और अकस्मात हृदय की धड़कन बंद हो जाने से अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं।
फेफड़े और उनका कार्य(LUNGS AND ITS WORK)
पसलियों को घेरे हुए छाती के नीचे दो फेफड़े होते हैं। जो एक पतली झिल्ली से ढके हुए होते हैं। शरीर में फेफड़ों का कार्य खून को साफ करना होता है। हृदय रक्त को फेफड़ों तक पहुंचाता है।फेफड़ों में दो कोठरिया होती है जिनमें एक में हवा तथा दूसरी में रक्त भरा रहता है। फेफड़े रक्त की सफाई उसी हवा से करते हैं। दोनों फेफड़ों के बीच एक पर्दा होता है। जिसमें छन-छनकर शुद्ध वायु रक्त में जाती है तथा अशुद्ध हवा बाहर आ जाती है।
जब हम स्वास लेते हैं तो वायु हमारे फेफड़ो द्वारा खींची जाती है। यदि हवा अशुद्ध होती है तो शरीर में कई रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है। जिसके कारण शारीरिक विकास रुक जाता है। धूम्रपान का असर भी फेफड़ों पर पड़ता है।जो लोग ज्यादा शराब का सेवन करते है, उनके फेफडे तो समाप्त हो ही जाते हैं। इसलिए हमेशा शुद्ध वायु का सेवन करें एवं नशे की लत से बचें।
हड्डिया और जोड़(BONES AND JOINTS)
मानव शरीर हड्डियों के ढांचे से बना हुआ है। हमारे शरीर में कुल 206 हड्डियां होती है। यह हड्डियां अपने-अपने काम और आवश्यकतानुसार भिन्न-भिन्न आकृति की होती है।जैसे खोपड़ी एक खोखली बड़ी गेंद के समान होती है तथा छाती एक खोखले संदूक के समान हाथ व पैरों की हड्डियां लंबी तथा पतली होती है। जैसे-जैसे आदमी की उम्र बढ़ती है, उसकी हड्डियों के जोड़ कसरत करने से,दौड़ने से तथा परिश्रम करने से काफी मजबूत हो जाते है।
शरीर की हड्डियों में सबसे ज्यादा महत्व रीढ़ की हड्डी का है। हड्डियों में दो प्रकार के जोड़ होते हैं- चल और अचल।चल वह जोड़ होते हैं जो आसानी से मुड़ जाते है, तथा अचल वह जोड़ होते होते हैं जैसे खोपड़ी की हड्डियों के जोड़ों के ऊपर होती है जिससे तेल के कारण जोड़ नहीं पाते हैं शरीर के विकास में हड्डियों का विशेष योगदान होता है। बच्चे का शारीरिक विकास हड्डियों पर ही निर्भर होता है या कमजोर ना हो इस बात का माता-पिता द्वारा विशेष ध्यान रखा जाता है। नवजात शिशु में हड्डियों की मजबूती के लिए तेल की मालिश की जाती है एवं मालिश के उपरांत शिशु को धूप में बिठाया जाता है। जिससे उसकी हड्डियां मजबूत रहती है।
मांसपेशियां(MUSCLES)
शरीर में लगभग 5 मांसपेशियां होती है। शरीर की चमड़ी हटाकर उसके नीचे वाली चर्बी को भी यदि हटा दिया जाए तो लाल रंग की पेशियों से सारा शरीर भरा हुआ होता है।इन सब की नाप अलग-अलग होती है।इनमें कुछ लंबी,कुछ छोटी तो कुछ गोल होती है। मांसपेशियां शरीर में खून का संचरण करती है।झुककर लिखने, पढ़ने,बैठने और चलने के कारण पेशियां शरीर के संपूर्ण भागों को सही रूप से खून की आपूर्ति नहीं कर पाती है।
मानव पाचन तंत्र का पाचन क्रिया(HUMAN DIGESTION SYSTEM AND DIGESTION PROCESS)
शरीर की देखभाल करने वाले अंगों में पाचन तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण अंग है।व्यक्ति का पाचन अगर सही होता है,तो उसका शरीर स्वस्थ रहता है।शरीर को पोषण सही तरह से प्राप्त होता है। शरीर को ऊर्जा सही मात्रा में मिलती है। पाचन तंत्र को सही करने के लिए संतुलित भोजन जरूरी है।भोजन को पचाने का कार्य जो करता है उसे पाचन तंत्र कहते हैं।
पाचन तंत्र का प्रथम भाग मुख होता है। मुख के द्वारा ही खाना शरीर में पहुंचता है।चबाते समय उसमें लार मिल जाती है।इसके बाद भोजन अमाशय तक पहुंच जाता है और फिर छोटी आंत तथा बड़ी आंत तक इसका संचरण होता है।
मानव रक्त(HUMAN BLOOD)
खून दो प्रकार की कणिकाओं से मिलकर बना होता है। जिन्हें लाल रक्त कणिकाएं व सफेद रक्त कणिकाएं कहते हैं।स्त्री की अपेक्षा पुरुष में लाल रक्त कण अधिक रहते हैं। शारीरिक विकास के लिए रक्त का शुद्ध होना आवश्यक है। रक्त का लाल रंग लाल कणिकाओं के कारण होता है। रक्त का संचरण शरीर में हृदय द्वारा होता है।
स्वस्थ रहने के लिए कौन-कौन सी आदते आवश्यक है?
स्वस्थ रहने के लिए शरीर के उचित देखभाल की आवश्यकता रहती है। प्रत्येक व्यक्ति को नियमित दिनचर्या का पालन करना चाहिये। संतुलित भोजन करना चाहिए। योग व कसरत का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
शरीर को एक्टिव रखने के लिए क्या खाना चाहिए?स्वस्थ रहने के नियम क्या है?
शरीर के विकास में सर्वाधिक योगदान पौष्टिक आहार का होता है। भोजन से शरीर को ऊर्जा मिलती है एवं उसी ऊर्जा से मनुष्य शारीरिक श्रम कर सकता है।इसका मतलब यह हुआ कि हम सभी को काम करने के लिए भोजन की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है और हम सभी नियमित भोजन भी करते है,लेकिन क्या उस भोजन में वे सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिनकी हमारे शरीर को आवश्यकता होती है।
शरीर में सभी अंग एक समान रूप से कार्य नहीं करते। कभी- कभी शरीर का कोई अंग टूट-फूट भी जाता है। उसकी मरम्मत हमारा भोजन करता है। इसलिए भोजन का पौष्टिक होना अतिआवश्यक है। उत्तम पोष्टिक भोजन वह होता है जिसमें शरीर की पूर्ति के लिए सभी पोषक तत्व मौजूद होते है।पोषक तत्व में कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन, खनिज लवण और मुख्य रूप से स्वच्छ पानी होता है।
संतुलित भोजन ही स्वस्थ जीवन का आधार होता है। संतुलित भोजन करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है एवं मानसिक विकास सही होता है। भोजन के प्रमुख अवयवों में प्रोटीन भी है। बच्चों को प्रोटीन अधिक मात्रा में दिया जाना चाहिए। क्योंकि प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर को बढ़ाने में मदद करना होता है। प्रोटीन की मात्रा दूध, अंडा, गेहूं, चावल, दाल व सब्जियों में भरपूर होती है। प्रोटीन शरीर के टूटे-फूटे अंगों की मरम्मत करने में लाभदायक होता है। शरीर में खून दो तरह की कणिकाओं से मिलकर बना होता है-लाल रक्त कणिकाएं तथा सफेद रक्त कणिकाएं। रक्त में लाल रंग की कणिका टूटती रहती है या किसी अंग में चोट लग जाती है।जिससे वहां घाव हो जाता है। यह सब लाल रंग की कोशिकाओं की कमी के कारण होता है। इन कोशिकाओं के विकास के लिए प्रोटीन की आवश्यकता पड़ती है।
हमारे पौष्टिक आहार का दूसरा प्रमुख अवयव कार्बोहाइड्रेट होता है। जिसे स्टॉर्च भी कहते हैं। कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर को ऊर्जा देता है। इस अवयव की भोजन में आवश्यकता उन लोगों को ज्यादा होती है,जो शारीरिक मेहनत करते हैं। जैसे- बोझा ढोने वाले, मकान के बनने में काम करने वाले मजदूर, खिलाड़ी एवं अन्य श्रम करने वाले व्यक्ति। कभी-कभी शरीर में स्टार्च की मात्रा ज्यादा हो जाती है जिससे शरीर में चर्बी बन जाती है और आदमी मोटा हो जाता है। ऐसा मोटापा आदमी के लिए दुखदाई होता है।
कार्बोहाइड्रेट मुख्य रूप से जौ, मक्का, चावल, गेहूं,बाजरा, आलू,शक्कर तथा जड़ वाली सब्जियों में पाया जाता है। कार्बोहाइड्रेट ऐसे लोगों को कम मात्रा में लेना चाहिए जो शारीरिक मेहनत कम करते है।जैसे दुकानदार आदि।अधिक स्टॉर्च खाने से शरीर के भीतर कोमल अंगों पर प्रभाव डालता है जिसके कारण वे अंग कमजोर हो जाते है और व्यक्ति बीमारियों का शिकार हो जाता है।
पोषक तत्वों में तीसरा सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व है वसा। वसा भी ऊर्जा देने का कार्य करता है। वसा मुख्यत: घी, तेल, मक्खन, सूखे नारियल,अखरोट, बादाम,पिस्ता, काजू, तिल, मूंगफली, सोयाबीन और दूध से बने पदार्थों में पाया जाता है। अर्थात चिकनाई वाली चीजें भी हमारे शरीर की पूर्ति के लिए आवश्यक है।वसा से मिलने वाली ऊर्जा को आकस्मिक ऊर्जा भी कहते है।यह उर्जा शरीर को जरूरत पड़ने पर काम आती है।
वसा संतुलित मात्रा में भोजन में होना चाहिए। कभी-कभी ज्यादा वसायुक्त पदार्थ खाने से भी कई प्रकार की बीमारियां पैदा हो जाती है। जिनका शरीर पर बुरा असर पड़ता है। क्योंकि अधिक तेल तथा घी खाने से शरीर में भारीपन हो जाता है। ऐसी वस्तुए जिनमें ज्यादा मिर्च मसाले होते हैं, ज्यादा मात्रा में नहीं खानी चाहिए। जैसे- समोसा आदि। इन सबके अलावा हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन की आवश्यकता पड़ती है। विटामिन वे पोषक तत्व होते हैं जिनसे शरीर को ताकत मिलती है। मानसिक विकास होता है और व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
मुख्यतः विटामिन 6 प्रकार के होते हैं। विटामिन अधिकांश मात्रा में सभी खाद्य पदार्थों में पाए जाते है। जैसे- दूध,फल, अनाज,दाल, सब्जी आदि फलों व सब्जियों को छिलका उतारकर नहीं खाना चाहिए इससे उनके विटामिन नष्ट हो जाते है।
विटामिन के प्रकार एवं उनके स्रोत
Vitamin A :- विटामिन ‘ए’ से हमारी आंखों की रोशनी बढ़ती है। विटामिन ‘ए’ शरीर को रोगों से बचाव करने में सहायक होता है। यदि किसी बच्चे में इसकी कमी है, तो उसके दांत देर से निकलते हैं। विटामिन ‘ए’ दूध, दही, मक्खन, पालक, टमाटर, गोभी,गाजर, केला आदि में पाया जाता है। अगर किसी व्यक्ति में विटामिन ‘ए’ की कमी हो जाती है,तो उसे रतौंधी(NIGHT BLINDNESS) नामक रोग हो जाता है।
Vitamin B complex:- विटामिन बी कॉन्प्लेक्स में विटामिन B1 से लेकर विटामिन B12 तक होते हैं। विटामिन ‘बी’ शरीर में पाचन तंत्र की प्रक्रिया को ठीक बनाए रखता है। इसकी कमी से पेट में खाना अच्छी तरह नहीं पच पाता और बेरी-बेरी रोग हो जाता है। विटामिन ‘बी’ के मुख्य स्रोत-खमीर, सेव, टमाटर, पालक,खजूर, गोभी आदि है।
Vitamin C:- विटामिन सी हमारे शरीर में रक्त को साफ करने का कार्य करता है। इसकी कमी से स्कर्वी रोग हो जाता है। विटामिन ‘सी’ खट्टी चीजों के सेवन से मिलता है। इसके प्रमुख स्रोत नींबू, आंवला, संतरा, टमाटर, गाजर आदि है।
Vitamin D:- विटामिन ‘डी’ हड्डियों तथा मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। बच्चों में इसकी कमी से सूखा रोग हो जाता है। बच्चों की हड्डियां तथा दांत कमजोर हो जाते है। इस विटामिन को सूर्य की रोशनी से प्राप्त किया जाता है। इसके अन्य स्रोत है दूध,घी,मक्खन, मछली का तेल आदि। विटामिन डी की कमी से रिकेट्स रोग होता है।
Vitamin E:- विटामिन ‘ई’ नारियल, गेहूं के चौकर, मक्खन, सलाद, बाजरा आदि में पाया जाता है।विटामिन ‘ई’ की कमी से बालों का झड़ना गंजापन आदि होते हैं।इस विटामिन की कमी से सेक्स पावर घटता है।
Vitamin K:- vitamin K की कमी से चमड़ी सूख जाती है।यह ताजे फलों, हरी सब्जियों, दालों तथा दूध व मक्खन में पाया जाता है। विटामिन ‘के’ की कमी से व्यक्ति के चोट लगने पर घाव जल्दी नहीं भरता है।
विटामिन के अलावा हमारे शरीर में खनिज लवणों की भी आवश्यकता होती है। हमारे शरीर को कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, सल्फर, पोटेशियम व क्लोरीन की कुछ मात्रा में आवश्यकता होती है। यह सभी शारीरिक विकास में सहायक होते हैं।
कैल्शियम- दूध से, आयरन- टमाटर, प्याज,पालक व हरी सब्जियों से, फास्फोरस- गाजर, ककड़ी, गोभी, मूली आदि से तथा अन्य हरी सब्जियों से मिलता है।
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